लेखनी प्रतियोगिता -01-Jun-2022 अहसास
अहसास
अहसास
उनके जाने से पता चला
कि जान कैसे जाती है
हर एक पल हर एक घड़ी
अहमियत उनकी , समझाती है ।
बहुत इन्तजार था कि
मनायेंगे जश्न -ऐ-आजादी
आती जाती हर सांस मगर
गुलामी की दास्ताँ कह जाती है ।
ना व्हाट्सएप का होश
ना फेसबुक की फिकर,
ना ही कोई चैटिंग
दिल को सुकून दिलाती है ।
जर्रे जर्रे में बिखरी थीं
खुशियों की सौगातें,
कभी गुलजार रही दीवारों से अब
सन्नाटे की सी आहटें आती हैं ।।
चलो अच्छा हुआ जो
गलतफहमियों का भूत उतर गया
कि रह लेंगे हम तो उनके बिना
पर , क्या ये भी कोई जिन्दगी कहलाती है ?
हरिशंकर गोयल
Barsha🖤👑
03-Jun-2022 12:37 PM
Nice
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Shrishti pandey
02-Jun-2022 05:18 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
02-Jun-2022 10:52 AM
बेहतरीन पंक्तियां
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